एक समय था जब भारत सोने की चिड़िया कहा जाता था , जब लोगो के घर में अनाज के गोदाम भरे हुए रहते थे तो आज भारत के एक तिहाई भाग के बच्चे कुपोषित क्यों है ?
भारत में कुपोषित वर्ग के बढ़ते दर का मुख्य कारण आर्थिक असमानता है। आज भी अर्थतंत्र के कुछ हिस्सों में निम्न आर्थिक स्तिथि के कारण उनके आहार में अक्सर गुणवत्ता और मात्रा दोनों में अभाव दिखने को मिला है । मंत्रालय ने कहा कि कुपोषित बच्चों का प्रतिशत 7.7 प्रतिशत पाया गया जो लगभग 43 लाख है।
बीते कुछ वर्षो में कुपोषित वर्ग को ले कर बहुत चर्चा विचारणा हुई है। 2018 में वैश्विक भुखमरी के सूचकांक में कुल 118 देशो में से भारत 103 और 2019 में 102 वे क्रम पर था , इस चिंता को बढ़ाते हुए 2020 – 2021 में कोविड महामारी के दौरान बाल विकाश मंत्रालय का दावा दावा है की भारत में कुल 17,76,902 गंभीर रूप से कुपोषित बच्चे तथा 15,46,420 मध्यम वर्गीय कुपोषित बच्चे थे।
कुपोषित का अर्थ :
बच्चे जो गुणवत्ता तथा पर्याप्त भोजन की कमी के कारण अपने शरीर का विकास पर्याप्त रूप से नहीं कर सकते और भिन्न – भिन्न बीमारियों का भोग बनते है जिसे हम कुपोषित बालक से देख सकते है। हम अपने शरीर का पर्याप्त रूप से विकास करने के लिए विटामिन , प्रोटीन तथा अच्छे पोषक तत्त्व वाले फल तथा सब्जी ग्रहण करते है परंतु अगर हम वह सब फल तथा सब्जिया अपने आहार में शामिल न करे तो हम भी बीमारियों का भोग बन सकते है।
कुपोषित होने के लक्षण :
child stunting (बच्चे का बौनापन) : चाइल्ड स्टंटिंग उस बच्चे को होता है जो अपने उम्र के हिसाब से बहुत छोटा है और यह दीर्धकालिक अथवा बार बार होने वाला कुपोषण का परिणाम है।
Child wasting (बच्चे की निर्बलता) : यदि किसी बच्चे का वजन उसकी आयु तथा उसके कद के अनुपात कम होता है उस को निर्बलता कहा जाता है।
Child overweight (बच्चे का अधिक वजन) : यदि अगर किसी भी बच्चे में उसकी उम्र तथा हाइट की अनुसार उससे ज्यादा वजन है तो उसको चाइल्ड ओवर वेइट कहते है।
भारत में कुपोषण को योगदान देने वाले प्रमुख कारण :
- स्वस्थ्य भोजन कि अपर्याप्त पहुंच : पौष्टिक भोजन की सीमित उपलब्धता अल्पपोषण में योगदान करती है जिससे जन्म के समय कम वजन, बचपन में बौनापन और अधिक वजन या मोटापे का खतरा बढ़ जाता है।
- भोजन की आदतें और पोषण संबंधी जागरूकता की कमी : भारत में हर घर में माँ के पास अपने बच्चे के लिए अपना खुद का अनौपचारिक इलाज है जो कही बार अपने बच्चो पर गलत साबित भी हो सकती है , वह अपर्याप्त पोषण की अपर्याप्त जानकारी तथा गलत धारणाएँ परिवारों में अल्पपोषण में योगदान करते है।
- गरीबी : गरीबी कुपोषित होने का मुख्य कारण है। गरीबी इंसान की खरीद शक्ति को कमजोर कर देती है इसी लिए इंसान से उच्च गुणवत्ता वाला तथा पर्याप्त मात्रा वाला भोजन को ग्रहण करना मुश्किल बन जाता है।
- संक्रमण : मलेरिया, खसरा और बार-बार होने वाले दस्त जैसी बीमारियाँ तीव्र कुपोषण को जन्म दे सकती हैं तथा पोषण संबंधी कमियों को बढ़ावा दे सकती है।
सरकार द्वारा की गयी पहल :
- राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम 2023 : केंद्रीय मंत्रिमंडल ने हाल ही में राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (एनएफएसए) के तहत आने वाले सभी 81 करोड़ लाभार्थियों को दिसंबर 2023 तक मुफ्त खाद्यान्न उपलब्ध कराने का निर्णय लिया है। यह कमजोर लोगों को भोजन और पोषण सुरक्षा का आश्वासन देता है ।
- एकीकृत बाल विकास योजना और आंगनवाड़ी प्रणाली : यह योजना 1975 में शुरू की गई थी और इसका उद्देश्य बच्चों का समग्र विकास और माँ का सशक्तिकरण है। गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं को पूरक पोषण और राशन प्रदान करना, स्कूलों में मध्याह्न भोजन योजना और मातृत्व लाभ कार्यक्रम चलाना।
- पोषण अभियान : पोषण अभियान मार्च 2018 में 0-6 वर्ष के बच्चों, किशोरियों और गर्भवती महिलाओं की पोषण स्थिति में समयबद्ध तरीके से सुधार लाने और बच्चों (0-6 वर्ष) में स्टंटिंग और वेस्टिंग में कमी लाने के लिए शुरू किया गया था। महिलाओं, बच्चों और किशोरियों में एनीमिया में कमी।
- पोषण 2.0 : पोषण जागरूकता रणनीतियों का उद्देश्य आहार संबंधी अंतराल को पाटने के लिए पौष्टिक स्थानीय खाद्य पदार्थों के माध्यम से स्थायी स्वास्थ्य और कल्याण विकसित करना है। इसका उद्देश्य बच्चों, किशोरियों, गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली माताओं में कुपोषण की चुनौतियों का समाधान करना है